Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 42 ( Turning Point )

क्यूंकि MTL भाई को ये इलेक्शन जीतना था और उन्होंने मेरी उस वक़्त मदद की थी जब कॉलेज जा हर एक सीनियर मेरी लेने मे तुला हुआ था... इसलिए यदि कल को वो मुझे मारने का प्लान बनाये तो उस प्लान मे भी मै उनका सहयोग करूँगा... अहसान का बदला तो अहसान से ही चुकाया जा सकता और एक बात... श्री अरमान दरूहा हो सकता है... लेकिन धोकेबाज नही...

इसलिए,कल की तरह मैने आज भी रिसेस के बाद कॉलेज जाने  का सोचा ताकि एकात मे तो अटेंडेंस लगे...  लेकिन अरुण कुछ काम बोलकर वहाँ से हॉस्टल  की तरफ निकल गया और मुझे बोला कि वो मुझे कैंटीन  मे मिलेगा. अरुण के जाने के बाद मैने मोबाइल मे टाइम देखा ,अभी लंच ख़तम होने मे 40 मिनट. बाकी थी , इसका मतलब मैं कैंटीन  मे जाकर 40 मिनट. तक ऐश पर लाइन मार सकता था, मैने अपना मोबाइल निकाला और सिदार को मेसेज  कर दिया कि मैं कैंटीन  मे हूँ, नज़र मारते रहना...... वरना कोई और मार जायेगा. ऊपर से ये इलेक्शन का तनाव....

ज़िंदगी कभी उस हिसाब से नही चलती जैसा हम चाहते है, उसे कोई फरक नही पड़ता कि हम अपनी ज़िंदगी को किस तरह और कैसे जीना चाहते थे , लाइफ तो बस अपनी यूनिफॉर्म वेलोसिटी से अपने मनचाहे डायरेक्शन मे आगे बढ़ती रहती है और ये हमेशा होता है. इसी तरह मैं अपने  कॉलेज का अकेला अरमान नही था, जिसके अरमान इतने ज़्यादा थे...

उस कॉलेज मे और भी काई होंगे जो कुछ सोचकर या फिर अपना एक लक्ष्य बना कर वहाँ आए थे. मैं और गौतम उस कॉलेज मे अकेले नही थी, जिसे ऐश पसंद थी और भी कयि लड़के थे जो ऐश को अपनी बाँहो मे देखना चाहते थे. लेकिन वहाँ उस कैंटीन  मे आधे घंटे से ऐश का इंतेज़ार करने वालो मे से मैं अकेला था, मेरे सिवा वहाँ कोई ऐसा नही था जो आधे घंटे से बैठकर ऐश का इंतेज़ार कर रहा हो, लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ.

ऐश  आज कैंटीन  नही आई और मैं अपने चेहरे को कभी एक हाथ मे टिकाता तो कभी दूसरे हाथ से ... ईशा की बीतते हुए पल के साथ गैर मौजूदगी एक अलग ही उदासी मेरे अंदर भरती जा रही थी, जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ दो लोग निकल सकते थे...एक तो थी ऐश और दूसरा मुझे सिगरेट कैसे पीना चाहिए ,ये बताने वाला मेरा खास ,एकदम खास दोस्त अरुण.....ऐश तो नही आई और अरुण को वहा  आने मे  अभी भी  वक़्त था....

"क्यूँ बे उजड़े चमन, ऐसे क्यूँ बैठा है...किसी ने खोल के  मार ली क्या..."

मैं इस आवाज़ को पहचान गया और बिना उसके तरफ देखे ही बोला"बैठ बे... लगता है, आज तेरी भाभी नही आई..."

"कौन दीपिका..."

"अबे तेरी तो.... वो तो शौतेली भाभी है तेरी... मैं ऐश की बात करिंग, वही तेरी सगी और सच्ची भाभी है और इज्जत से उसका नाम लेना.. वो भाभी है तेरी और भाभी माँ समान होती है.."

"वो तो  तेरे जिगरी यार गौतम की सेट्टिंग है और भाभी,  माँ नही... माल  समान होती है ."

"उड़ा ले बेटा मज़ाक..."

"चल छोड़, क्लास चलते है..."

"चल..."उठते हुए मैने कहा"लेकिन पहले यहाँ का बिल भर..."

"कितना हुआ.."अपना जेब चेक करते हुए अरुण ने पुछा

"2500 पैसे..."

"अरे,  पर्स हॉस्टल  मे ही छूट गया , तू ही दे दे..."

"यदि मैं पर्स लाया होता तो क्या तुझे बोलता, बकलोल कही के..."कैंटीन  वाले लड़के के पास जाकर मैने बोला कि वो बिल मेरे अकाउंट मे एड कर दे, लेकिन ना तो मेरा वहाँ कोई अकाउंट था और ना ही उसने उधारी करने की बात मानी,...

"अपुन को तो कैश ही मंगता, बीड़ू लोग...  यदि रोकडा है तो रोकडा दो..वरना अपना कुछ समान रख के जाओ..."

"अबे उल्लू, मैं तेरे 25 के लिए अपना 10000 का मोबाइल गिरवी रक्खु क्या..."

"वो आऊँगा का मैटर  नही है..."

साला कैंटीन  वाला मान नही रहा था और नेक्स्ट क्लास भी स्टार्ट होने वाली थी. तभी सिदार का कॉल आया.... सिदार ने ये पुछने के लिए कॉल किया था की वहाँ कोई लफडा तो नही है....और तभी मेरे खुराफाती दिमाग़ मे एक सॉलिड आइडिया आया और मैने कैंटीन  वाले से बोला...

"सिदार के खाते मे डाल..."

"वो तुमको जानता भी  है..?."

"ये देख ,उसी की कॉल आई थी अभी..."मोबाइल मे कॉल हिस्टरी दिखाते हुए मैने कहा और वो मान गया....

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"ओये अरमान, सुन..."चलती क्लास के बीच मे नवीन ,जो कि आज आगे वाली बेंच मे बैठा था वो मुझे बोला"वरुण आज कॉलेज आया है, साले के सर मे पट्टी बँधी है..."

"अच्छा.. ऐसा... वो आज भी रोला झाड़ रहा था क्या ...? जूनियर्स पे..?"

"ना, आज तो साला भीगी बिल्ली की तरह बस मे बैठा था, उसके दोस्त भी उसके साथ थे...लेकिन कोई कुछ नही बोल रहा था... सब ऐसे शांत थे.. मानो मातम छाया हुआ हो..."

"और उसकी आइटम विभा ,आई है क्या..."

"आई तो है,लेकिन वो आज वरुण से दूर बैठी थी...लगता है दोनो का ब्रेक-अप हो गया... "

मैं और नवीन धीरे धीरे बात कर रहे थे कि तभी अरुण शेर की तरह दहाड़ मारकर बोला

"अब उसे मैं सेट करूँगा...:"

"कौन है बदतमीज़..." Hod सर ने जहाँ हम बैठे थे, उस तरफ देखकर कहा"जिसने भी ये हरकत की है ,वो सीधे अपने आप निकल जाए,वरना पूरी क्लास का सेशनल  ज़ीरो कर दूँगा..."

आवाज़ अरुण ने किया था ,इसलिए होड़ सर हमारी बेंच और उसी के आस-पास देखकर बोल रहे थे और जैसे ही उन्होने अरुण की तरफ देखा तो  अरुण होशियारी मारते हुए बोला..

"सर , मुझे नही मालूम कि आवाज़ किसने निकाली, शायद पीछे से कोई बोला..."

"चल खड़े हो और बाहर निकल..."

"लेकिन सर, मैने कुछ नही किया "

"कुछ देर पहले जो आवाज़ हुई थी, उससे तेरी आवाज़ मैच  हो गयी है...चल बाहर जा..."

"सॉरी सर"

"बाहर जा.. आज से सात दिन की अटेंडेंस कट ."

अरुण मुँह लटका कर बाहर गया और hod  सर फिर से बोर्ड पर ड्रॉयिंग बनाने लगे....

"तुझे कैसे मालूम कि, विभा और वरुण का ब्रेक-अप हो गया..."होड़ सर के सामने मुड़ते ही मैने एकदम धीमी आवाज़ मे नवीन से बोला"तू तो बाइक से आता है ना..."

"आज बस से आया, तभी देखा...वरुण ,विभा से बात करने की कोशिश मे लगा हुआ था लेकिन विभा हर बार यहिच डाइलॉग मारती कि...लीव मी अलोन..."

"और फिर..."

"और फिर क्या होना था, अपना थोबड़ा लेकर वरुण चुप चाप सिटी बस मे पीछे की तरफ बैठ गया और उसके बाद मैने एक मस्त चीज़ नोटीस की..."शरमाते हुए नवीन ने कहा"विभा मुझे लाइन दे रही थी... यार..."

"हे, तुम भी खड़े हो...."होड़ सर ने अबकी बार नवीन को खड़ा किया"यहाँ तुम गपशप अड्डा खोल के बैठे हो..."

"नही सर...वो"

"क्या नही सर..."होड़ सर की लाल होती आँखो से ज्वालामुखी बस फटने ही वाला था...

"सर मैं, पेन माँग रहा था..."

"अच्छा..."होड़ सर ने बुक टेबल पर रक्खी और जहाँ हम बैठे थे वहाँ आकर नवीन के हाथ मे से पेन लिया और चला के देखा....

"तुम्हारा पेन तो ठीक चल रहा है, फिर क्या दोनो हाथ से लिखने के लिए पेन माँग रहे थे"

नवीन अपना सर नीचे करके एकदम चुप होकर ऐसे बैठा ,जैसे उसने कुछ किया ही ना हो,...

"बाहर जाओ... तुम्हारी भी वन वीक की अटेंडेंस कट..."

नवीन मुँह लटकाये उठा और मुँह लटकाये ही बाहर जाने लगा... साला इन प्रोफेसरस का अलग ही तानाशाही है... स्टूडेंट्स इतनी दूर -दूर से बस, ऑटो के धक्के खाते हुए कॉलेज आते है, ताकि उनकी अटेंडेंस मैनेज रहे और एग्जाम फॉर्म भरते समय कोई दिक्कत ना हो... लेकिन ये साले, प्रोफेसरस... छोटी -छोटी बात पे अटेंडेंस ऐसे काट देते है, मानो हमने इनकी लड़कियों को छेड़ दिया हो...  खैर, जब नवीन बाहर जाने लगा तो hod सर ने उसे रोका और पुछा कि वो पेन किससे माँग रहा था....

"सर, अरमान से..."सर का पूछना था की, नवीन तपाक से बोला

"कौन है ,अरमान... Stand  up "

"सर मैं..."अपना हाथ उठाते हुए मैने कहा...

होड़ सर मेरे पास आए और बोले कि मैं उन्हे अपना पेन दिखाऊ, लेकिन साला मेरे पास तो एक भी पेन नही था , मैं तो इतनी देर से सिर्फ़ कॉपी खोल कर बैठा था

"वाह , पेन भी उस बंदे से माँग रहे थे,जिसके पास पेन ही ना हो"और फिर मुझे देखकर होड़ सर ने बड़ा सा "गेट आउट " बोला....
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"चल मूत के आते है..."जब हम तीनो क्लास से बाहर निकल आए तब नवीन ने कहा....

"मैं नही जाऊंगा...  मेरे बदले अरमान.. तु कर लेना .."अरुण बोला....

"तुम दोनो यहीं खड़े रहो ,मैं अभी आया... कुछ इलेक्शन  रिलेटेड काम आ गया है..."

"मैं भी चलता हूँ..."अरुण बोला...

लेकिन मैं नही माना और अरुण को नवीन के साथ रुकने के लिए बोलकर वहाँ से निकल गया. जिसके बाद  मेरी गाड़ी जाकर सीधे कंप्यूटर लैब  मे रुकी, जहाँ दीपिका मैम  अपनी टांगे फैलाये  किए हुए कम्यूटर पर शायद पोर्न देख रही थी.....................................


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8 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:38 PM

Nice

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:41 PM

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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Sana khan

01-Sep-2021 05:38 PM

Nice

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